Sahitya Akademi Yuva Puraskar पार्वती तिर्की को मिला 2025 का साहित्य अकादमी पुरस्कार

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Sahitya Akademi Yuva Puraskar : 2025 के साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है. नई दिल्ली स्थित साहित्य अकादमी 24 भाषाओं में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 24 भाषाओं में ही साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार देती है. इस बार का साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार झारखंड की डॉक्टर पार्वती तिर्की को दिया गया है उनकी साहित्यिक रचना “फिर उगना” का चयन इस पुरस्कार हेतु किया गया है. साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 24 भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्यिक कार्य के लिए दिया जाने वाला एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है_ Sahitya Akademi Yuva Puraskar. 

Sahitya Akademi Yuva Puraskar 35 वर्ष से कम आयु के युवा लेखकों को 24 संवैधानिक भाषाओं में दिया जाता है. इस पुरस्कार के तहत ₹50000 का केस प्रदान किया जाता है साथ ही एक उत्कीर्ण ताम्रपत्ति का भी दी जाती है. इस वर्ष डोगरी भाषा में कोई पुरस्कार घोषित नहीं हुआ है अर्थात 23 भाषाओं के लेखकों के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2025 की घोषणा की गई थी. साहित्य अकादमी की ओर से जानकारी दी गई है कि बाद में समारोह का आयोजन कर Sahitya Akademi Yuva Puraskar वितरित किए जाएंगे.

Sahitya Akademi Yuva Puraskar 2025 में किसे मिला

युवा कवयित्री डॉक्टर पार्वती तिर्की को 2025 के साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान कविता के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है. अपनी कविताओं में उन्होंने आदिवासी जीवन को ओकेरा है. उनकी कविताएं वाचिक पाठ परंपरा को सम्मिलित करने वाली है. इन्हें प्रलेख नवलेखन सम्मान भी मिल चुका है. इससे पहले इन्हें “विष्णु खरे युवा कविता सम्मान 2025” से भी सम्मानित किया जा चुका है.

Sahitya Akademi Yuva Puraskar

हजारों युवा साहित्यकारों ने इस पुरस्कार हेतु रजिस्ट्रेशन करवाया था तथा अपनी साहित्यिक सृजन रचना को सबमिट किया था. इन पुस्तकों को 3 सदस्यिय निर्णायक मंडल ने निर्धारित चयन प्रक्रिया का पालन करते हुए पुरस्कार हेतु चुना है. डोगरी भाषा का युवा पुरस्कार बाद में घोषित किया जाएगा.

  • अंग्रेजी के लिए अद्वैत कोटरी के उपन्यास सिद्धार्थ बाॅययु हु बिकम द बुद्ध को दिया गया है.
  • पंजाबी के लिए मनदीप औलख को कविता संग्रह गर्ल्स हॉस्टल हेतु दिया गया
  • उर्दू के लिए नेहा रुबाब के उपन्यास मजहरूल हक तारीख ए आजादी ए हिंद को युवा पुरस्कार से नवाजा गया.
  • असमिया भाषा में कुच यानामा कहानी संग्रह हेतु सुप्रकाश भैया को यह पुरस्कार मिला है.
  • राजस्थानी भाषा में अंतस रै आसरे कविता संग्रह हेतु पूनम चंद्र गोदारा को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से नवाजा गया.

Sahitya Akademi Yuva Puraskar कौन है पार्वती तिर्की

पार्वती तिर्की झारखंड की मूल निवासी है. उनके हिंदी कविता संग्रह फिर उगना के लिए उन्हें साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2025 दिए जाने की घोषणा हुई है. वह गुमला जिले के कुडुख आदिवासी समुदाय से आती है. सम्मान की घोषणा के बाद उन्होंने कहा की कविताओं के जरिए उन्होंने संवाद की कोशिश की है. इस संवाद का सम्मान हुआ है. इसकी उन्हे खुशी है. राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक माहेश्वरी ने इस उपलब्धि पर कहा कि युवा प्रतिभा का सम्मान गर्व की बात है. उनकी पहली कृति का प्रकाशन मैंने ही किया था.

Sahitya Akademi Yuva Puraskar प्राप्त पार्वती तिर्की का जन्म 16 जनवरी 1994 को झारखंड के गुमला जिले में हुआ. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गुमला के जवाहर नवोदय विद्यालय में हुई. इसके बाद उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से हिंदी साहित्य में स्नातक और सनात्कोत्तर शिक्षा प्राप्त की. उसके बाद वहीं के हिंदी विभाग से कुडुख आदिवासी गीत “जीवन राज और जीवन संघर्ष” विषय पर पीएचडी की डिग्री हासिल की वर्तमान में वह रांची के राम लखन सिंह यादव कॉलेज के हिंदी विभाग में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत है. 

पहली कृति है “फिर उगना”

फिर उगना पार्वती तिर्की की पहली काव्य कृति है. यह वर्ष 2023 में राधा कृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित हुई थी. इस संग्रह की कविताएं सरल, सच्ची और संवेदनशील भाषा में लिखी गई है. पाठकों को सीधे संवाद की तरह महसूस होती है. जीवन की जटिलताओं को काफी सहज ढंग से दिखाने में सक्षम है. उनकी कविताओं में धरती, पेड़, चिड़िया, चांद सितारे और जंगल सिर्फ प्रतीक नहीं है वे कविता के भीतर एक जीवंत दुनिया की तरह मौजूद है.

हिंदी कविता की न्यूनतम पीढ़ी में पार्वती तिर्की का स्वर अलग से पहचाना जा सकता है. उनकी कविताओं में आदिवासी जीवन दृष्टि, प्रकृति और सांस्कृतिक स्मृतियों का वह रूप सामने आता है जो अब तक मुख्य धारा के साहित्य में बहुत कम दिखाई देता रहा है. यह न केवल उनके रचनात्मक योगदान का सम्मान है बल्कि हिंदी कविता के निरंतर समृद्ध होते हुए भूगोल और अनुभव संसार के विस्तार की स्वीकृति भी है.

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