RTE Free Admission Rule : हर किसी अभिभावक का सपना होता है कि वह अपने बच्चों को महंगे से महंगे प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाए लेकिन कम आमदनी और निम्न आय वाले लोग इस सपने को कभी पूरा नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास पैसों की कमी होती है और वह अपने बच्चों का दाखिला अच्छी स्कूलों में नहीं करवा पाते।
भारत के सभी राज्यों में नया शिक्षा सत्र 1 जुलाई से शुरू होने जा रहा है अब गरीब का बच्चा भी हिंदी से महंगी इंग्लिश मीडियम स्कूल में बिल्कुल फ्री में पढ़ पाएगा भारत सरकार ने RTE के तहत एक नियम बना रखा है जिसमें प्राइवेट स्कूल में भी बच्चों को मुफ्त में एडमिशन देना होता है लेकिन कई लोगों को इस नियम की जानकारी नहीं है आज इस आर्टिकल में हम RTE Free Admission Rule की चर्चा करेंगे ताकि आपका बच्चा भी महंगे प्राइवेट स्कूल में फ्री में दाखिला ले सके।
RTE फ्री एडमिशन नियम
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में एक गरीब बच्चे का किसी भी प्राइवेट स्कूल में एडमिशन नहीं होने पर सोशल मीडिया पर एक पोस्टर वायरल हो गई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस वायरल पोस्ट पर संज्ञान लेते हुए गरीब बच्चे का एक महंगी प्राइवेट स्कूल में मुफ्त में एडमिशन करवा दिया तो एक बार फिर अचानक देश में यह चर्चा छिड़ गई की क्या कोई भी गरीब अपने बच्चों को महंगी प्राइवेट स्कूल में फ्री में पढवा सकता है? आज हम इसी नियम की चर्चा करेंगे ।
देशभर में प्राइवेट स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है क्योंकि लोगों ने इसे एक बिजनेस आइडिया बना लिया है निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले परिवारों के लिए इन स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना केवल एक सपना रह गया है कुछ अभिभावक इंग्लिश स्कूलों में जैसे-तैसे अपने बच्चों का एडमिशन तो करवा लेते हैं लेकिन महंगी फीस उनके बजट को बिगाड़ देता है यह जानना बेहद जरूरी है कि क्या कोई गरीब महंगी प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को वाकई फ्री में पढ़ा सकता है?
RTE अधिनियम
भारत सरकार ने 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया था इसके तहत 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को मुक्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है आरटीई के तहत सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को अपनी 25% सिटे गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों हेतु आरक्षित रखनी होती है यह सिटे पहली कक्षा में दाखिले के लिए होती है और इन बच्चों की पढ़ाई आठवीं तक पूरी तरह मुफ्त होती है।
किन्हें मिलेगा इसका फायदा
EWS (आर्थिक रूप से गरीब वर्ग) में आने वाले वह परिवार जो सरकार द्वारा निर्धारित वार्षिक आय की सीमा में आते हैं इस योजना का लाभ उठा सकते हैं इसे हेतू आपके पास ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र होना बहुत जरूरी है अगर किसी अभिभावक के पास यह प्रमाण पत्र नहीं है तो वह किसी भी निजी स्कूलों में आरटीई के तहत अपने बच्चों के दाखिले हेतू निवेदन नहीं कर पाएगा।
OBC इसे पिछड़ा वर्ग कहते हैं यह प्रमाण पत्र जिस व्यक्ति के पास होता है वह भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में 25% आरक्षित सीमा वाली सीटों पर एडमिशन करवा सकता है।
ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल जो इस क्षेत्र में वर्षों से कार्यरत है कहते हैं कि यदि कोई अभिभावक सभी शर्तें पूरी करता है तो प्राइवेट स्कूलों उसे एडमिशन देने से मना नहीं कर सकते यहां तक की सरकारी स्कूलों में भेजने का दबाव भी नहीं बनाया जा सकता।
यदि किसी स्कूल के पास 25% आरक्षित सिटे खाली है तो उन्हें पात्र बच्चों को दाखिला देना कानूनी रूप से अनिवार्य होगा अगर कोई स्कूल इससे इनकार करता है तो इसकी शिकायत की जा सकती है और सरकार उसे पर कार्रवाई करते हुए स्कूल की मान्यता रद्द कर सकती है।
Free एडमिशन प्रोसेस
- EWS व OBC प्रमाण पत्र बनवाए : अपने जिले के तहसील ऑफिस से आप यह प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं।
- ऑनलाइन आवेदन करें : कई राज्यों में इसे हेतू RTE पोर्टल बना हुआ है जहां आपको ऑनलाइन आवेदन करना होता है या आप सीधे उस स्कूल में जाकर ऑफलाइन भी आवेदन फॉर्म भर सकते हैं।
- RTE पोर्टल पर अपनी पसंद की प्राइवेट स्कूल में आप यह फॉर्म भर सकते हैं।
- यदि 25% सीटों से अधिक आवेदन प्राप्त हो गए हैं तो वह निजी विद्यालय लॉटरी सिस्टम के जरिए बच्चों का चयन करता है ।
- चयनित होने पर बच्चों को पहली कक्षा में दाखिला दिया जाता है उसकी आठवीं तक की पढ़ाई बिल्कुल मुफ्त होती है।
इस पैकेज में क्या शामिल है
इस पैकेज में शामिल है बच्चे की सभी प्रकार के स्टेशनरी किताबें, स्कूल यूनीफॉर्म व परीक्षा शुल्क यानी कि एक बार बच्चे का दाखिला हो जाने के बाद सभी प्रकार की सुविधा निशुल्क मिलेगी और प्राइवेट स्कूल किसी भी प्रकार की फीस की मांग नहीं कर सकेगी।