Rajasthan Mega Scam 7 करोड़ का घोटालेबाज निकला सरकारी बाबू

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Rajasthan Mega Scam : राजस्थान के जालौर जिले में भीनमाल पंचायत समिति के एक घोटालेबाज बाबू ने अपने पद का दुरुपयोग कर करीब 7.5 करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया उसने यह सारा घोटाला अपनी पत्नी के नाम एक फर्जी फर्म बनाकर किया यह अपनी पत्नी के नाम वाली फर्म से टेंडर प्राप्त करता था।

घोटाले बाज बाबू ने अपनी पत्नी के नाम वाले फर्म पर 9 सरकारी टेंडर प्राप्त कर लिए इनमें से दो टेंडर लेने के लिए तो उसने पूरी प्रक्रिया ही दोबारा करवाई अर्थात रीटेंडर करवाए जबकि किसी लोक सेवक के कार्य क्षेत्र में उसके रिश्तेदार ठेकेदार के नाम से टेंडर जारी नहीं किया जा सकता सभी सरकारी नियमों को दरकिनार करते हुए एलडीसी ने अपने पद का दुरुपयोग कर इस घोटाले को अंजाम दिया।

Rajasthan Mega Scam कौन है घोटालेबाज बाबू

यह बाबू कोई और नहीं बल्कि Rajasthan के भीनमाल पंचायत समिति में ही कार्यरत उदाराम देवासी है इससे पहले यह जसवंतपुरा पंचायत समिति में कार्यरत था वहां उसने करीब 14 टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया था इसके लिए उसने अपनी पत्नी मोहरा देवासी की प्रोपराइटरशिप में एकता कंस्ट्रक्शन नाम से डमी फर्म बनवाई थी उसने इस फर्म के नाम से पिछले तीन वित्तीय वर्षों में वार्षिक मैटेरियल सप्लाई के 14 निविदा प्रक्रियाओं में भाग लिया।

Rajasthan Mega Scam

इन 14 निविदा में उसने 10 करोड़ 54 लख रुपए के टेंडर भरे थे इनमें से उसे 7.12 करोड़ के टेंडर मिल भी गए। यह सभी टेंडर उसकी ही पंचायत समिति के कार्य क्षेत्र में थे एलडीसी की पत्नी के नाम की फर्म ने अब तक 14 निविदा में भाग लिया इनमें से 9 निविदाओं के कार्य प्राप्त करने में घोटालेबाज बाबू सफल रहा।

Rajasthan Mega Scam क्या है टेंडर का नियम

Rajasthan के ग्रामीण, विकास एवं पंचायती राज विभाग के 21 सितंबर 2012 को जारी परिपत्र 2069 के बिंदु 11 के अनुसार ठेकेदार जो इंजीनियरिंग, लेखा, प्रशासनिक, मंत्रालयिक व लोक सेवकों के नजदीकी रिश्तेदार (जिसमें पत्नी, पति, माता-पिता, दादा दादी, पुत्र पुत्री, सगे व चचेरे भाई व बहन, चाचा चाची, व तत्समान ससुराल के संबंधी शामिल है) होने पर निविदा प्रक्रिया में भाग लेने के लिए अनुमत नहीं किया जाएगा।

इसके अलावा निवेदा शर्तों में यह स्पष्ट था कि ठेकेदार का कोई भी परिजन या रिश्तेदार Rajasthan की संबंधित ग्राम पंचायत, पंचायत समिति या जिला परिषद में पद स्थापित होने पर निविदा में भाग लेने हेतु प्रतिबंधित रहेगा इसका शपथ पत्र भी लिया जाता है।

प्रतिक्रिया :

जब इस मामले का खुलासा हुआ तो मीडिया वालों ने घोटालेबाज एलडीसी उदाराम देवासी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा “नरेगा की टेंडर प्रक्रिया में ऐसा नियम नहीं है मैं क्रय समिति में नहीं था और मैं इस प्रक्रिया से भी जुड़ा हुआ नहीं था मेरी पत्नी का व्यवसाय है उन्होंने जसवंतपुरा के अलावा अन्य पंचायत समितियां में भी टेंडर भरे थे।”

जब इस संबंध में जिला परिषद सीईओ नंदकिशोर राजोरा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा ” बाबू की शिकायत थी कि उसने अपनी पत्नी के नाम फर्म बनाकर टेंडर लिए हैं हम मामले में बीडिओ से जांच करवा रहे हैं जब जांच रिपोर्ट आ जाएगी तो सभी तथ्य मीडिया के सामने रखे जाएंगे ।

जब इस संबंध में बीडिओ पृथ्वी सिंह चरण से पूछा गया तो उन्होंने कहा ” मामले की जांच करने को लेकर एक पत्र सीईओ कार्यालय से आया हुआ है मैं फिलहाल अंत्योदय कैंप में व्यस्त हूं तो उस फाइल को देख नहीं पाया कल मैं ऑफिस जाकर जब उस शिकायत को देखूंगा तो कुछ कह पाऊंग फिलहाल में इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता ।”

कहां व कितनी राशि के घोटाले हुए

  • साल 2022-23 में दांतलावास, मूडतरासिली व मंडोली ग्राम पंचायत में 80-80 लाख के 3 टेंडर प्राप्त किए ।
  • साल 2023 – 24 में तवाव, थूर, मुडतरासिली ग्राम पंचायत में 80-80 लाख के टेंडर प्राप्त किए और मंडोली ग्राम पंचायत में एक करोड़ का टेंडर भी प्राप्त किया।
  • वर्ष 2024 – 25 में तातोल ग्राम पंचायत में 80 लाख और मुडतरासिली में 52 लाख रुपए के टेंडर प्राप्त किए ।
  • इसके अलावा इसी क्रम में वर्ष 2022-23 में थूर ग्राम पंचायत 2023 _ 24 में दातलावास और 2024_ 25 में मांडोली व सोमता ग्राम पंचायत में निविदा प्रक्रियाओं में भाग लिया लेकिन टेंडर उनकी फर्म का नहीं खुला।

इस प्रकार आप देख सकते हैं कि पंचायत समिति में कार्यरत एक मामूली बाबू ने किस तरह सरकारी नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी पत्नी के नाम के टेंडर पास करवा कर करोड़ों रुपए के घोटाले को अंजाम दिया।

 

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