Protest Against Rajasthan CM भजन लाल शर्मा के सांचौर दौरे का विरोध फिर भी सीएम ने दी खुशखबरी

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Protest Against Rajasthan CM : राजस्थान की वर्तमान भाजपा सरकार ने गठन के समय एक विवादास्पद कमेटी का गठन कर दिया था. उस कमेटी का नाम था जिला समीक्षा समिति. जिला समीक्षा समिति ने करीब एक साल तक की मशक्कत के बाद अचानक से 9 जिलों को रद्द कर दिया और रद्द जिलों में सबसे विवादास्पद निर्णय सांचौर जिले को रद्द करना माना गया. क्योंकि भौगोलिक परिस्थितियों हो या जालौर जिले से दूरी हो सभी मानकों पर फिट बैठने वाले सांचौर जिले को रद्द करना एक बहुत बड़ा और विवादास्पद निर्णय साबित हुआ. 

सांचौर जिले को पुनः बहाल करने के लिए पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई की अध्यक्षता में जिला बचाओ संघर्ष समिति का गठन हुआ. वह समिति लगातार कई महीनो से धरना दे रही है. आज राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का सांचौर दौर था. इस दौरे के दौरान जनता ने जिला बहाल करने का ज्ञापन देने का निर्णय लिया लेकिन भजनलाल शर्मा ने ज्ञापन लेने से साफ इनकार कर दिया.

Protest Against Rajasthan CM प्रशासन ने पूर्व मंत्री का मार्ग रोका

जैसे ही प्रशासन को पता चला कि पूर्व मंत्री के नेतृत्व में भारी भीड़ ज्ञापन देने के लिए CM के काफिले को रोक सकती है तो प्रशासन के हाथ पांव फूल गए. प्रदर्शन की जानकारी के बाद जालौर एसपी ज्ञानचंद यादव और सांचौर एसडीएम दौलत राम चौधरी मौके पर पहुंचे. प्रदर्शनकारियों से बातचीत की. वार्ता में अधिकारियों ने 7 लोगों की कमेटी के माध्यम से ज्ञापन देने की बात की इस पर प्रदर्शनकारी सहमत नहीं हुए.

Protest Against Rajasthan CM

एसपी ज्ञानचंद यादव ने बताया कि प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. नहर में तीन लोगों के कूदने की जानकारी के बाद तीनों को तुरंत एसडीआरएफ की टीम ने बचा लिया. कोई बड़ा हादसा होने से टल गया. नहर में सुरजन राम विश्नोई, भूप सिंह राठौड़ रणोदर और छगनलाल मेघवाल टांपी कूद गए थे.

Protest Against Rajasthan CM बुजुर्ग बोले सांचौर के साथ हुआ घोर अन्याय

सुरजन राम विश्नोई ने बताया पिछली कांग्रेस सरकार ने सांचौर को जिला घोषित किया था लेकिन भाजपा सरकार ने जिले को निरस्त करके सांचौर की जनता के साथ घोर अन्याय किया है. ऐसे में आज शांतिपूर्वक ज्ञापन देने जा रहे थे लेकिन प्रशासन ने हमें जबरदस्ती रोक दिया. इसके कारण हमने नहर में कूद कर आत्मदाह करने का निर्णय लिया था लेकिन एसडीआरएफ की टीम ने हमें बचा लिया.

वहीं अन्य बुजुर्गों ने बताया कि सांचौर जिला जनता का हक है हम इसे पुनः लेकर रहेंगे, लेकिन भाजपा सरकार ने यह हक हमसे छीन लिया है. इस कारण हम लगातार 513 दिन से धरना दे रहे हैं.

Protest Against Rajasthan CM मुख्यमंत्री क्यों आए थे सांचौर

जालौर जिले के सांचौर क्षेत्र में बुधवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के दौरे को लेकर राजनीतिक हल-चल काफी तेज रही. मुख्यमंत्री वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान के तहत सांचौर के सीलू गांव पहुंचे थे जहां उन्होंने नर्मदेश्वर घाट पर पूजा अर्चना कर अभियान की शुरुआत की इस अवसर पर आयोजित जनसभा में उन्होंने जल संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए जनता से जल स्रोतों के संरक्षण और उनकी स्वच्छता बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि जल संकट एक गंभीर चुनौती है और इससे निपटने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे.

विपक्ष के विरोध प्रदर्शन का मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने भाषण में सीधे तौर पर तो उल्लेख नहीं दिया लेकिन उन्होंने यह अवश्य कहा कि जल संरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से आह्वान किया कि पर्यावरण और जल के सवाल पर राजनीति से ऊपर उठकर एकजुट होकर कार्य करना होगा. ताकि भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित जल संसाधन सुनिश्चित किया जा सके.

नहर में कूद गए थे प्रदर्शनकारी

मुख्यमंत्री के दौरे के बीच कांग्रेस कार्य प्रस्ताव ने सांचौर को जिला बहाल करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया कांग्रेस का आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा घोषित सांचौर जिले को वर्तमान भाजपा सरकार ने रद्द कर दिया है. जिससे जनता में असंतोष है. कांग्रेस कार्यकर्ता मुख्यमंत्री को विज्ञापन देना चाहते थे लेकिन प्रशासन ने उन्हें नर्मदा नहर क्षेत्र में ही रोक लिया. इससे नाराज होकर कुछ कार्यकर्ताओं ने विरोध स्वरूप नहर में छलांग लगा दी. एसपी ज्ञानचंद यादव ने बताया कि विरोध प्रदर्शन की संभावना को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. नहर में तीन लोगों के कूदने के तुरंत बाद तीनों को एसडीआरएफ की टीम ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया और बड़ा हादसा होने से टल गया.

कांग्रेस नेताओं ने ज्ञापन देने से रोके जाने की घटना को लोकतंत्र का गला घोट वाला बताते हुए सरकार पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण ज्ञापन देना जनता का अधिकार है लेकिन सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है.

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